समाधान

ईश्वर कभी नहीं बदलता ,न ही उसके नियम |क्या कोई आत्मकेंद्रित अशुद्ध मनुष्य उसकी समीपता में रह सकता है?निपुणता अपूर्णता को नहीं सहता |जिस प्रकार एक बूंद जहर पुरे पानी से भरे गिलास को दूषित कर्ता है|अपने स्वभाव से वह निपुण है,ईश्वर को हर कोई जो अशुद्ध है दण्ड देना होगा |और अगर अनआज्ञाकारिता का दाम म्रत्यु हो:एक गलती और आप खत्म |  ईश्वर को अनदेखा और नकारने से इस जीवन के बाद अंत काल की म्रत्यु है ,बिना ईश्वर के एक दर्दनाक भविष्य | अब क्या अगर एसा कोई शुद्ध हो ,एसा जो ईश्वर हमारे सृष्टिकर्ता के निपुण आदर्शो को पूरा करता हो?क्या अगर वह व्यक्ति आपके और ईश्वर के बीच में मध्यस्त होने के काबिल हो?वह व्यक्ति जो आपके द्वारा की गयी और होने वाली  गलतियों का प्रायश्चित करने योग्य हो | एसा कौन कर सकता है?कोई सधारण इन्सान यह नहीं कर सकता |इसकारण वह कोई अलौकिक सामर्थ को रखने वाला व्यक्ति होना चहिये | यह सब काम करने का शक्ति रखने वाला होना चाहिये ,जो परिपूर्ण हो |कोई साधरण इन्सान यह मुआवज़ा नहीं दे सकता |एक या दो बार मगर फिर वह अपने कामो में व्यस्त हो जायेगा | यह एक माया जाल में बदलेगा.  जारी रखें
दिन 6 Day 6 (1)

समाधान

ईश्वर कभी नहीं बदलता ,न ही उसके नियम |क्या कोई आत्मकेंद्रित अशुद्ध मनुष्य उसकी समीपता में रह सकता है?निपुणता अपूर्णता को नहीं सहता |जिस प्रकार एक बूंद जहर पुरे पानी से भरे गिलास को दूषित कर्ता है|अपने स्वभाव से वह निपुण है,ईश्वर को हर कोई जो अशुद्ध है दण्ड देना होगा |और अगर अनआज्ञाकारिता का दाम म्रत्यु हो:एक गलती और आप खत्म |  ईश्वर को अनदेखा और नकारने से इस जीवन के बाद अंत काल की म्रत्यु है ,बिना ईश्वर के एक दर्दनाक भविष्य | अब क्या अगर एसा कोई शुद्ध हो ,एसा जो ईश्वर हमारे सृष्टिकर्ता के निपुण आदर्शो को पूरा करता हो?क्या अगर वह व्यक्ति आपके और ईश्वर के बीच में मध्यस्त होने के काबिल हो?वह व्यक्ति जो आपके द्वारा की गयी और होने वाली  गलतियों का प्रायश्चित करने योग्य हो | एसा कौन कर सकता है?कोई सधारण इन्सान यह नहीं कर सकता |इसकारण वह कोई अलौकिक सामर्थ को रखने वाला व्यक्ति होना चहिये | यह सब काम करने का शक्ति रखने वाला होना चाहिये ,जो परिपूर्ण हो |कोई साधरण इन्सान यह मुआवज़ा नहीं दे सकता |एक या दो बार मगर फिर वह अपने कामो में व्यस्त हो जायेगा | यह एक माया जाल में बदलेगा.  जारी रखें