जीवन का अर्थ

इससे पहले की हम उसी प्रश्न पर आये कि रूपकार आपमें इछुक है या नहीं ,उसे और उसके योजनाओ के बारे में और जानने की कोशिश करते है | रूपकार को सृष्टि ,धरती और जो कुछ उस पर है उसे बनाने की जरूरत क्यों लगी ?क्या वह अपने पिछले परीस्थिति से असंतुष्ट है?क्या वह उदास था और अद्भुत कर्म करने कि सोच है ?क्या वह जोखिम लेने वाला है,एसा कुछ बनाये कि वह उसे ही अचम्भित कर दे? उसने सब कुछ नष्ट क्यों नहीं किया यह खोजने के बाद कि उसकी बनाई गयी सृष्टि कोई आनंद ही नहीं है? इस सब के पीछे क्या मालूम इससे भी बड़ी कोई योजना हो ,हमारे अनुमान लगाने से भी बड़ी ?यह योजना किस प्रकार कि होगीऔर हम इसका कैसे पता लगा सकते है?  जारी रखें  
दिन 4 Day 4 (1)

जीवन का अर्थ

इससे पहले की हम उसी प्रश्न पर आये कि रूपकार आपमें इछुक है या नहीं ,उसे और उसके योजनाओ के बारे में और जानने की कोशिश करते है | रूपकार को सृष्टि ,धरती और जो कुछ उस पर है उसे बनाने की जरूरत क्यों लगी ?क्या वह अपने पिछले परीस्थिति से असंतुष्ट है?क्या वह उदास था और अद्भुत कर्म करने कि सोच है ?क्या वह जोखिम लेने वाला है,एसा कुछ बनाये कि वह उसे ही अचम्भित कर दे? उसने सब कुछ नष्ट क्यों नहीं किया यह खोजने के बाद कि उसकी बनाई गयी सृष्टि कोई आनंद ही नहीं है? इस सब के पीछे क्या मालूम इससे भी बड़ी कोई योजना हो ,हमारे अनुमान लगाने से भी बड़ी ?यह योजना किस प्रकार कि होगीऔर हम इसका कैसे पता लगा सकते है?  जारी रखें