आप क्यों जीते है? इस जीवन के बाद आपका क्या होगा? हम चुनौती देतें है की आप अपने जीवन और भविष्य के विषय में एक हफ्ता सोचें!संक्षिप्त सारांश पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए आवश्यक साधनों का आविष्कार विज्ञान के द्वारा हुआ है. जीवन की शुरुआत अचानक और अपने आप होना ना मुमकिन है. फिर..... इस विशाल ब्रम्हांड में पृथ्वी ही एक मात्र और अनोखा गृह क्यों है जिस में जटिल जीवन पाया जाताहै? क्या इस के पीछे कोई बनावट / डिजाइन है? एक बनावट / डिजाइन के पीछे जरूर कोई डिजाइनर / बनानेवाले का होना जरूरी है.हां! डिजाइनर है और उसका नाम परमेश्वर है. उस ने सारा संसार और पृथ्वी और उसके अंदर की हर एक चीज बनाई है. केवल प्राकृतिक क़ानून के अनुसार चलने वाली ऑटो मेटिक मशीन जैसा नही परन्तु अपने निर्णयों को स्वयं लेने वाले इंसानों को भी बनाया है. यह स्वतंत्रता एक समस्या को पैदा करता है, आप परमेश्वर के योजना के अंतर्गत रहकर जी सकते है या उस से दूर अपने ही तरीके से भी जी सकते है. हर इंसान खुदगर्ज़ होकर परमेश्वर के विरोध में ही अपने निर्णयों को करता है और उसे पाप कहते है. इन पापों के कारण अपने जीवन के अंत में हम दंड के भागीदार ठहरते है: भविष्य में सदा के लिया परमेश्वर से अलग होकर स्वर्ग से वंचित होकर रहना. पर उस तरह का भविष्य आप के लिए परमेश्वर की योजना नहीं है. परमेश्वर आप से प्रेम रखता है और आप के साथ संबंध रखा ना चाहता है. इस संसार में और मृत्यु के बाद भी. इसी वजह से खुद परमेश्वर एक रास्ता निकालते है. परमेश्वर अपने पुत्र येशु मसीह को इस जगत में भेजा, जो एकमात्र परिपूर्ण इंसान है. प्रभु येशु आपके लिए अपना जान और खून क्रूस पर दिया केवल उसी के कारण इंसानों के लिए उद्धार संभव है. येशुमसीह आपके द्वारा हुई हर गलती और पाप के एवज में आपको मिलानेवाली दंड को अपने ऊपर लिया. तीन दिन बाद मृत्यु के ऊपर जय पाकर जीउठा और साबित किया की वह मृत्यु का भी प्रभु है. अब प्रभु येशु स्वर्ग लोक में परमेश्वर के साथ है. कई बार लोग परमेश्वर को अनदेखा करदेते है. कई लोग विश्वास करते है की "कुछ तो है जो चलारहा है" पर उसे पहचान ने के लिए परिश्रम नहींकरते, या जीवन के विषय में विज्ञान का जो कहना है उसे मान लेते है. केवल प्रभु येशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा और उस के साथ संबंध बनाने के द्वारा ही इस जीवन और मृत्यु के बाद की जीवन में परमेश्वर के साथ संबंध बना सकते हैं. संक्षिप्त रूप में यही सत्य है की - परमेश्वर के साथ संबंध बनाने के लिए प्रभु येशु को परमेश्वर का पुत्र जानकर उस पर विश्वास करना है और यह विश्वास करना है की वह अपने पापों के प्रायश्चित करने क्रूस पर मारा गया और तीसरे दिन जीउठा। येशु को आप अपने व्यतिगत उद्धार कर्ता और प्रभु मान कर उसे स्वीकारना होगा. केवल इस तरह विश्वास करने पर ही परमेश्वर आपके पापों और अनाज्ञाकारिता को क्षमा करेगा. वह आपको अपने बच्चे के रूप में स्वीकारेगा. येशु मसीह पर विश्वास करने के कारण परमेश्वर आप को स्वर्ग राज्य में अनंत जीवन का निश्चित आश्वासन देगा। आपका निर्णय क्या होगा? हां ! मै इसी वक्त अपना निर्णय लेना चाहताहूँ. मै एक हफ़्ता सोचना पसंद करूंगा नहीं , मौके के लिए धन्यवाद
आप क्यों जीते है? इस जीवन के बाद आपका क्या होगा? हम चुनौती देतें है की आप अपने जीवन और भविष्य के विषय में एक हफ्ता सोचें!संक्षिप्त सारांश पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए आवश्यक साधनों का आविष्कार विज्ञान के द्वारा हुआ है. जीवन की शुरुआत अचानक और अपने आप होना ना मुमकिन है. फिर..... इस विशाल ब्रम्हांड में पृथ्वी ही एक मात्र और अनोखा गृह क्यों है जिस में जटिल जीवन पाया जाताहै? क्या इस के पीछे कोई बनावट / डिजाइन है? एक बनावट / डिजाइन के पीछे जरूर कोई डिजाइनर / बनानेवाले का होना जरूरी है.हां! डिजाइनर है और उसका नाम परमेश्वर है. उस ने सारा संसार और पृथ्वी और उसके अंदर की हर एक चीज बनाई है. केवल प्राकृतिक क़ानून के अनुसार चलने वाली ऑटो मेटिक मशीन जैसा नही परन्तु अपने निर्णयों को स्वयं लेने वाले इंसानों को भी बनाया है. यह स्वतंत्रता एक समस्या को पैदा करता है, आप परमेश्वर के योजना के अंतर्गत रहकर जी सकते है या उस से दूर अपने ही तरीके से भी जी सकते है. हर इंसान खुदगर्ज़ होकर परमेश्वर के विरोध में ही अपने निर्णयों को करता है और उसे पाप कहते है. इन पापों के कारण अपने जीवन के अंत में हम दंड के भागीदार ठहरते है: भविष्य में सदा के लिया परमेश्वर से अलग होकर स्वर्ग से वंचित होकर रहना. पर उस तरह का भविष्य आप के लिए परमेश्वर की योजना नहीं है. परमेश्वर आप से प्रेम रखता है और आप के साथ संबंध रखा ना चाहता है. इस संसार में और मृत्यु के बाद भी. इसी वजह से खुद परमेश्वर एक रास्ता निकालते है. परमेश्वर अपने पुत्र येशु मसीह को इस जगत में भेजा, जो एकमात्र परिपूर्ण इंसान है. प्रभु येशु आपके लिए अपना जान और खून क्रूस पर दिया केवल उसी के कारण इंसानों के लिए उद्धार संभव है. येशुमसीह आपके द्वारा हुई हर गलती और पाप के एवज में आपको मिलानेवाली दंड को अपने ऊपर लिया. तीन दिन बाद मृत्यु के ऊपर जय पाकर जीउठा और साबित किया की वह मृत्यु का भी प्रभु है. अब प्रभु येशु स्वर्ग लोक में परमेश्वर के साथ है. कई बार लोग परमेश्वर को अनदेखा करदेते है. कई लोग विश्वास करते है की "कुछ तो है जो चलारहा है" पर उसे पहचान ने के लिए परिश्रम नहींकरते, या जीवन के विषय में विज्ञान का जो कहना है उसे मान लेते है. केवल प्रभु येशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा और उस के साथ संबंध बनाने के द्वारा ही इस जीवन और मृत्यु के बाद की जीवन में परमेश्वर के साथ संबंध बना सकते हैं. संक्षिप्त रूप में यही सत्य है की - परमेश्वर के साथ संबंध बनाने के लिए प्रभु येशु को परमेश्वर का पुत्र जानकर उस पर विश्वास करना है और यह विश्वास करना है की वह अपने पापों के प्रायश्चित करने क्रूस पर मारा गया और तीसरे दिन जीउठा। येशु को आप अपने व्यतिगत उद्धार कर्ता और प्रभु मान कर उसे स्वीकारना होगा. केवल इस तरह विश्वास करने पर ही परमेश्वर आपके पापों और अनाज्ञाकारिता को क्षमा करेगा. वह आपको अपने बच्चे के रूप में स्वीकारेगा. येशु मसीह पर विश्वास करने के कारण परमेश्वर आप को स्वर्ग राज्य में अनंत जीवन का निश्चित आश्वासन देगा। आपका निर्णय क्या होगा? हां ! मै इसी वक्त अपना निर्णय लेना चाहताहूँ. मै एक हफ़्ता सोचना पसंद करूंगा नहीं , मौके के लिए धन्यवाद