बाइबल, परमेश्वर का पुस्तक
बाइबल एक साधरण किताब नहीं है |वास्तव में वह एक किताब नहीं है पर ६६ किताबो का किताबघर है |उसमे इतिहास ,जीविनी ,कविताये ,भविष्यवाणी ,पत्र आदि है |बाइबल एक बहुत पुरानी किताब है|कुछ हिस्से ३५०० साल पहले लिखे गए है |इसका यह मतलब नहीं कि बाइबल हमारे जीवन में महत्त्व नहीं रखती |जो कोई भी इसे पध्गा वह आज भी अपने जीवन पर लागु करेगा |
में असमान में से नहीं गिरा
बाइबल जैसे कि हम किताब के रूप में जानते है असमान से नहीं गिरा |बाइबल कि रचना और आखरी किताब में करीबन १००० साल से जाएदा क अंतराल है |यह एक विभाग और अलग अलग लिखावतो का संग्रह है बाइबल का शब्द यूनानी (बिब्लिका)जिसका मतलब है किताब से लिया गया है |इन किताबो में यहूदी और मसीही पवित्र हथ्लिपि है|यह मुद्रित किताब जैसे कि आप जानते है दो भागो में बटी हुई है ६६ क़िताबे ,अध्याय और हजारों में आईते |यह किताब जिस में दोनों विभाग और अलग अलग लिपि का संग्र्ह है ,इसका लम्बा इतिहास है |बहुत सी घटनाये ,धार्मिक कानून ,कथा ,कहानियाँ और भविष्यवाणी पीढ़ी से पीढ़ी तक मुहबोली आगे बढाया है|
अनेक लेखक
१००० साल से जयेदा के वक्त में बाइबल कि क़िताबे लिखी गयी है ,अंदाजे से १००० bc से १०० nc तक अलग अलग वक्त और जगहों में |अंगिनत लेखकों ने इसके गीत ,संपादन और दूसरे कहानियो से टाएप किया है |यह हाथों के द्वारा ,चमड़े के सामान कागज पर लिखा गया है |सभी मूलपाठ सुरक्षित नहीं है |वह सब मूलपाठ लम्बे समय के बाद पवित्र हस्तलिपि में जोड़े गए
सपष्ट और एक सामान नियम पुस्तक क्यों नहीं ?
हम फिर अपनी सविछा पर आते है |यह आपके जीवन कि नियम पुस्तक है,कुछ स्विच्छा संभव है |महत्पूर्ण जीवन कि शिक्षा बाइबल में मिलती है ,और आदेश जो मनुष्य को मानना चाहिए |यह कुछ आदेश मनुष्य के भलाई के लिए ही है |सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा है प्रेम (१कोरिन्थियो १३).लोगों के द्वारा दिए गए प्रभु के संदेश ,जीवित हो जाते है |बाइबल के द्वारा हम लोगों और देशो को सविच्छा से संघर्ष करते देख सकते है |जो ईमानदारी से ईश्वर को चुनते है ,वह उसके योजना को खोज लेंगे ,जो लोग इश्वर के ख़िलाफ जाते है उनका कोई भविष्य नही|
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बाइबल के दो भाग है ,पुराना नियम और नया नियम .पुराने नियम में उन लोगों के बारे में है जिसे ईश्वर ने चुना है ,उनके संधर्ष जिससे वह ईश्वर से विश्वासयोग रहे |पुराने नियम इश्वर के बारे में बहुत पद है|.नया नियम इस धरती पर यीशु के जीवन को बताती है ,अनेक भविष्यवाणी जो पुराने नियम में से पूरी होना .लोगों के द्वारा देखा और जिया हुआ वक्त यीशु के साथ और उसके बाद |इसमें यीशु कि कहानियाँ और शिक्षा उनके क्रूस चढ़ाना और पुनरुथान बताया है| जब आप शुरू से आखरी तक बाइबल पढेंगे ,तब आप सामान डोर को समझेंगे |वह डोर यह कि ईश्वर का अपने स्रष्टि से अत्यंत प्रेम ,आप बहुत एसी कहानियाँ भी पाएंगे जो ईश्वर से मुह्मोड़ लेते है|ईश्वर के पुत्र के द्वारा किये गए उद्धार के कार्य को जो स्वीकार कर्ता है ,तो इश्वर का प्रेम उसके जीवन में म्रत्यु पर जय पता है